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शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ने की थी फडणवीस से बात, बीजेपी ने डील में नहीं दिखाई रुचि, मोदी-शाह ने भी टाला

एकनाथ शिंदे ने कुछ एमएलए अपने साथ लेकर बगावत की तो उद्धव ठाकरे को लग गया था कि स्थिति काफी नाजुक है। इधर शिंदे अपने कुनबे के साथ पहले सूरत और फिर असम में डेरा डाले रहे लेकिन उधर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ने अपनी सरकार और पार्टी को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन बीजेपी की बेरुखी की वजह से उन्हें सफलता नहीं मिल सकी।

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक उद्धव ने पहले देवेंद्र फडणवीस से संपर्क साधा। दोनों के बीच लंबी बात भी फोन पर हुई। उद्धव चाहते थे कि बीजेपी उनके साथ डील करे। शिंदे गुट को वो तरजीह न दे। लेकिन फडणवीस ने उन्हें टका सा जवाब देकर कहा कि वो इस बात पर सहमत नहीं हो सकते। उसके बाद उद्धव ने पीएम नरेंद्र मोदी और उनके विश्वस्त अमित शाह को भी फोन मिलाया। लेकिन वहां से कोई रिस्पांस उन्हें नहीं मिल सका।

रिपोर्ट कहती है कि उद्धव को खतरे का एहसास तभी हो गया था जब एमएलसी चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद शिवसेना के विधायकों की मीटिंग बुलाई गई। शिंदे और उनके कुछ समर्थक बैठक में नहीं आए। शिंदे को तलाश करने की कोशिश भी हुई पर वो ठाकरे परिवार के हाथ नहीं लगे। उद्धव उस वक्त महाराष्ट्र के सीएम थे और आज एकनाथ शिंदे। ठाकरे परिवार की तरफ से खासा जोर लगाया गया जिससे बागी वापस लौट आएं। यहां तक कि रश्मि ठाकरे को भी मनाने की मुहिम पर लगाया गया। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात ही रहा। बागी उनकी नहीं माने।

गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे को कुर्सी से हटाकर अब एकनाथ शिंदे सूबे के सीएम बन चुके हैं। बीजेपी ने उन्हें अपना समर्थन दिया है। हालांकि शिंदे का सीएम बनना शुरू में फडणवीस को रास नहीं आया था। कभी खुद की तुलना समुंदर से करने वाले फडणवीस कभी नहीं चाहते थे कि सीएम की कुर्सी उनके हाथ से जाए। लेकिन आलाकमान के दखल के बाद उनको मानना पड़ा। वो सरकार में शामिल नहीं होना चाहते थे पर जेपी नड्डा के दबाव के बाद उनको डिप्टी सीएम बनने के लिए बाध्य़ होना पड़ा।



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