पहले 16 विधायकों पर फैसला उसके बाद फ्लोर टेस्ट, पैनलिस्ट के दावे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ने समझाया कानून
महाराष्ट्र में जारी संकट के बीच अब फ्लोर टेस्ट की चर्चा जोरों पर है। इस पर हो रही एक टीवी डिबेट में राजनीतिक विश्लेषक संजय झा ने कहा कि एकनाथ शिंदे के 16 विधायकों को उद्धव ठाकरे जी की पार्टी ने डिस्क्वलीफाई करने की मांग की है। जब तक वो नहीं होता या उस पर फैसला नहीं आता, तब तक आप फ्लोर टेस्ट कैसे कर सकते हैं। यदि वो अयोग्य घोषित हो गए हैं, तो दो तिहाई तो होगा ही नहीं।
उन्होंने कहा, “यदि संविधान की प्रक्रिया देखें तो चाहे डिप्टी स्पीकर की बात हो या फिर जिन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी ही पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया तो इस बात का कोई कानूनी हक नहीं बनता है कि वो शिवसेना हैं। इस पर भी तो सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना होगा उसके बाद ही तो फ्लोर टेस्ट हो सकता है।”
इस पर, डिबेट में मौजूद पैनलिस्ट अमिताभ सिन्हा ने कहा, “योग्यता का मामला तब वैलिडे होगा, जब जिसने भेजा उसकी कुर्सी पर जो प्रश्न चिन्ह लगा है वो सही हो, जबकि मैजोरिटी ने तय कर दिया कि तुम डिप्टी स्पीकर नहीं बन सकते, तो इसका मतलब है कि मैजोरिटी फ्लोर में आएगी और कहेगी कि डिप्टी स्पीकर इज नोट प्रोपर टू होल्ड द हाउस।”
बता दें कि महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर ने शिंदे कैंप के कुछ विधायकों को अयोग्य नोटिस जारी करने का फैसला किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है।
फ्लोर टेस्ट को लेकर डिबेट में मौजूद वकील सतीश मानशिंदे ने कहा, “महाराष्ट्र में जो चल रहा है वो बहुत दुखदायी है। अगर बागी विधायकों को उद्धव ठाकरे जी का लीडरशिप कबूल नहीं है तो उन्हें रिजाइन करना चाहिए। ऐसे देश में घूम-घूमकर बंडखोर नहीं करना चाहिए। बागी विधायक गुजरात और असम में पता नहीं कौन सी जीत सेलिब्रेट कर रहे हैं। पहले तो यहां आकर महाराष्ट्र में उन्हें फेस करना पड़ेगा पब्लिक में। लैजिस्लेटर में पावर दिखानी है अपनी तो दिखा सकते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद कार्रवाई ले सकते हैं, तो सिर्फ 11 जुलाई के बाद ले सकते हैं।”
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