‘मेरा खून तमिलनाडु की मिट्टी में मिला हुआ है’: स्टालिन की आत्मकथा का विमोचन कर बोले राहुल गांधी, पीएम मोदी पर भी साधा निशाना
सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की आत्मकथा ‘उंगलिल ओरुवन’ के पहले भाग का लोकार्पण किया। चेन्नई में हुए इस कार्यक्रम में केरल के सीएम पिनरई विजयन, बिहार के विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहे।
स्टालिन के 69वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आयोजित इस कार्यक्रम में द्रमुक के कई वरिष्ठ नेता, राज्य के कैबिनेट मंत्री, आईएएस और आईपीएस अधिकारी सहित कई तमिल अभिनेता मौजूद थे। आत्मकथा के पहले भाग में स्टालिन के शुरुआती 23 साल के बारे में बताया गया है। इसमें 1953 में उनके जन्म से लेकर 1976 तक का जिक्र है जब उन्हें आपातकाल के दौरान मीसा के तहत गिरफ्तार किया गया था।
इस कार्यक्रम में बोलते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद में दिए गए अपने उस भाषण को याद किया जिसमें उन्होंने कई बार तमिलनाडु का जिक्र किया था। उनके भाषण के बाद जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि उन्होंने इतनी बार तमिलनाडु का नाम क्यों लिया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे तमिल थे। इसके बाद राहुल ने कहा कि मैंने बाद में कार में सोचा कि ऐसा मैंने क्यों कहा। मैंने खुद से पूछा कि मैं तो तमिलनाडु में पैदा भी नहीं हुआ और मैं तमिल भी नहीं बोलता हूं। तमिल 3000 साल पुरानी सभ्यता है और मैं उस सभ्यता को समझता भी नहीं हूं। फिर मैं कैसे कह सकता हूं कि मैं एक तमिल हूं। मुझे खुद को तमिल कहने का अधिकार किसने दिया? तब मुझे एहसास हुआ कि मैंने ऐसा क्यों कहा। ऐसा इसलिए क्योंकि मेरा खून आपकी मिट्टी में मिला हुआ है।
आगे राहुल गांधी ने कहा कि पिता को खोना मेरे लिए बहुत दुखद अनुभव है। बहुत कठिन अनुभव, लेकिन यह एक ऐसा अनुभव भी है जिससे मैं सीखता हूं। इसलिए मुझे एहसास हुआ कि मुझे खुद को तमिल कहने का अधिकार है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि वह तमिलनाडु में विनम्रता के साथ आते हैं और यहां की परंपरा, भाषा और इतिहास के आगे सिर झुकाते हैं।
इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कोई अक्षरों का सम्मान नहीं करता है तो वो कविता का भी सम्मान नहीं कर सकता। तमिलनाडु सिर्फ दो शब्द नहीं है बल्कि यह 3,000 साल पुरानी सभ्यता है। जब वे इसे नहीं समझते हैं, तो वह राज्य और हमारे देश का अपमान करते हैं। आप तमिलनाडु के लोगों की आवाज कैसे छीन सकते हैं और फिर आप कैसे कह सकते हैं कि आप तमिलनाडु के लोगों का सम्मान करते हैं? जब तमिलनाडु के लोग बार-बार आपसे नीट के बारे में बात करना चाहते हैं और आप उनका जवाब नहीं देते हैं, तो यह किस प्रकार का सम्मान है? अगर आप यहां आते हैं और संस्कृति एवं भाषा का सम्मान करते हैं तो वे आपको बदले में कुछ नहीं देंगे लेकिन प्यार जरूर देंगे।
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