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आर प्रज्ञानंद : शतरंज के बादशाह को दी मात्र 39 चाल में मात

एक तरफ मात्र 16 साल के आर प्रज्ञानंद, काले मोहरों के साथ खेल रहे थे। दूसरी तरफ दुनिया में शतरंज के माहिर मैगनस कार्लसन। ज्यादातर लोग लगातार तीन बाजी जीत चुके कालर्सन की जीत को लेकर आश्वस्त थे, लेकिन शुरुआती दौर में ही प्रज्ञानंद अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ मजबूत नजर आने लगे और 39वीं चाल तक पहुंचते-पहुंचते वह इस पूर्व विश्व चैंपियन को हराने वाले देश के तीसरे ग्रैंडमास्टर बन गए।

भारत के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानंद ने आनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स के आठवें दौर में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैगनस कार्लसन को हराकर उनके विजय रथ की लगाम थाम ली। बैंक में काम करने वाले रमेश बाबू और उनकी पत्नी नागलक्ष्मी की दूसरी संतान आर प्रज्ञानंद का जन्म 10 अगस्त 2005 को तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ।

परिवार और दोस्तों में प्रगू के नाम से बुलाए जाने वाले प्रज्ञानंद बहुत छोटे थे, जब उनके माता पिता ने उनकी बड़ी बहन वैशाली को हर समय टेलीविजन देखने से रोकने के लिए शतरंज खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। बहन भाई को काले सफेद मोहरों का यह खेल इतना पसंद आया कि दोनों दिनभर एक दूसरे को मात देने की तरकीबें सोचा करते।

बच्चों में शतरंज के प्रति ललक देखकर पिता ने उनकी कोचिंग की व्यवस्था की, ताकि उन्हें खेल के तमाम नियमों की सही जानकारी हो सके। मां नागलक्ष्मी उनके खेल पर बारीकी से नजर रखती और हर टूर्नामेंट में उनके साथ जाती। बहन भाई ने बहुत छोटी उम्र में ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शतरंज के खेल में अपनी पहचान बना ली और महिला और पुरूष वर्ग में शतरंज की सबसे ऊंची पदवी अर्थात ग्रैंडमास्टर का दर्जा हासिल किया।

प्रज्ञानंद ने 2013 में वर्ल्ड यूथ चैस चैंपियनशिप अंडर-8 में विजय हासिल की और अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (फाइड) ने सात वर्ष की उम्र में उन्हें मास्टर का खिताब दिया। वर्ष 2015 में उन्होंने अंडर-10 का खिताब जीता और 2016 में मात्र 10 बरस 10 माह और 19 दिन की उम्र में शतरंज के इतिहास के सबसे छोटे इंटरनेशनल मास्टर बने।

नवंबर 2017 में प्रज्ञानंद ने विश्व जूनियर शतरंज प्रतियोगिता में आठ अंकों के साथ चौथा स्थान प्राप्त करके ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने की सीढ़ी पर पहला कदम रखा। 17 अप्रैल 2018 को वह यूनान में खेले गए हेराक्लिओन फिशर मेमोरियल जीएम नार्म टूर्नामेंट में दूसरा नार्म हासिल करने में सफल रहे और 23 जून 2018 को मात्र 12 वर्ष 10 महीने और 13 दिन की उम्र में इटली में ग्रेडाइन ओपन टूर्नामंट में तीसरा नार्म हासिल करके उस समय दुनिया के दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बन गए।

मैगनस कार्लसन को मात देने की प्रज्ञानंद की उपलब्धि इसलिए बहुत बड़ी है, क्योंकि इससे पहले भारत के सिर्फ दो खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद और पी कृष्णा ही विश्व के इस नंबर एक खिलाड़ी को मात दे पाए हैं। यहां यह जान लेना दिलचस्प होगा कि प्रगू विश्वनाथन आनंद को अपना आदर्श मानते हैं। इसमें दो राय नहीं कि देश में शतरंज को लोकप्रिय बनाने का श्रेय काफी हद तक विश्वनाथन आनंद को जाता है और वह देश के पहले ग्रैंडमास्टर हैं। उनके बाद अब तक देश में कुल 73 खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल कर चुके हैं। भरत सुब्रमणियम इस कतार में 73वें स्थान पर हैं।

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