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68 टेस्ट में 40 जीत, सपनों के सच होने की दास्तां है किंग कोहली का टेस्ट कैरियर, जानें कैसे हुआ था आगाज

विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी को अलविदा कहा तो भारतीय क्रिकेट में एक युग का अंत होते दिखा। ऐसा एरा जिसमें टीम ने विदेशियों को उनकी जमीन पर धूल चटाना सीखा। गेंदबाजों और बल्लेबाजों के भीतर लड़ने की अजब सी ललक देखी गई। विराट क्रिकेट के मैदान में आसानी से हार मानने वाले खिलाड़ी नहीं था। अपने इसी जज्बे की वजह से उन्हें किंग कोहली का तमगा मिला। जिसने जो चाहा वैसे किया।

हालांकि, जो कुछ उन्होंने हासिल किया, वो इतना आसान नहीं दिखता। सुनील गावस्कर, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी की कैटेगरी में खड़ा होना उतना आसान भी नहीं था। लेकिन अपनी एंट्री के तीसरे साल में ही कोहली सुपरस्टार में तब्दील हो गए। वन डे क्रिकेट में वो 2008 से अगाज कर चुके थे। महज तीन साल बाद ही उन्होंने ऐसी पारी खेली जिसमें आतिशी बैटर विव रिचर्ड्स जैसी क्लास दिखाई।

2012 का वाकया है। भारतीय टीम आस्ट्रेलिया के अपने दौरे पर थी और बुरी तरह से मार खा रही थी। टेस्ट सीरिज में आस्ट्रेलिया ने उसे चारों खाने चित कर दिया था। उसके बाद हुई टी-20 श्रंखला में भी भारत केवल एक मैच ही जीत सका। लेकिन जब वन डे ट्राई सीरिज की बारी आई तो प्लेयर्स ने निखार दिखाना शुरू किया। हालांकि, आस्ट्रेलिया से वो फिर भी पार नहीं पा सके। माइकल क्लार्क कप्तानी के साथ खतरनाक बैटिंग और कंगारुओं को पेस अटैक का भारत कोई तोड़ नहीं निकाल सका। उस खतरनाक दौरे पर भारत को किंग कोहली मिले।

28 फरवरी को श्रीलंका से हुए उस मैच में कोहली पहली बार क्रिकेट फैंस के सितारा बने। श्रीलंका ने 50 ओवरों में 320 का स्कोर किया। भारत ने सधी शुरूआत की। लेकिन सचिन सहवाग के जल्दी आउट होने के बाद भारत प्रैशर में आया। रन पहाड़ सरीखे लग रहे थे। कोहली मैहान पर आए और उसके बाद की कहानी सपनों सरीखी है। भारत ने 36 ओवर चार गेंदों पर ही लक्ष्य हासिल कर लिया। कोहली फैंस के किंग बने। उन्होंने 86 गेंदों पर 133 रनों की पारी खेली। आस्ट्रेलिया की उछाल लेती पिच पर कोहली ने दिखाया कि कैसे लसिथ मलिंगा की टो क्रसिंग यार्करों को बाउंड्री से बाहर भेजा जा सकता है। कोहली क्रीज पर गए थे तो फैंस को लग रहा था कि भारत की पकड़ से मैच दूर है। लेकिन चंद मिनटों बाद ही खेल का नजारा बदल गया। कोहली ने मलिंगा को मैदान के चारों तरफ मारा। सचिन को आउट करके मलिंगा ने बैटिंग क्रम की रीढ़ को लगभग तोड़ दिया था पर विराट उस दिन वाकई किंग थे।

UNDER-19 कप में भारत को जीत दिलाने वाले कोहली पहली दफा 2008 में ही सुर्खियों में आए थे। हालांकि, वन डे टीम में उन्हें 2008 से ही जगह मिलनी शुरू हो गई थी। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में कोहली को पहली बार 2011 के वेस्टइंडीज के दौरे पर हाथ आजमाने का मौका मिला। कोहली पहली बार 20 जून को सबीना पार्क के मैदान पर उतरे तो किसी को नहीं पता था सिंपल सा दिखने वाला प्लेयर एक दिन टेस्ट क्रिकेट का सफसे सफल कप्तान बन जाएगा। हालांकि, सचिन के 100 शतकों से कोहली काफी दूर हैं लेकिन उनके रिकॉर्ड के सबसे नजदीक भी वही हैं। एक समय वो भी था कि माना जा रहा था कि सचिन का असंभव से दिखने वाले कारनामे को कोहली ही दोहरा सकते हैं। लेकिन फिलहाल वो काफी दूर दिख रहे हैं।

68 टेस्टों की कप्तानी कर 40 जीत भारत की झोली में डालने वाले कोहली क्रिकेट जगत के सबसे सफल कप्तान नहीं हैं। इस मामले में पहले नंबर पर कंगारू स्टीव वाग हैं। उनका जीतने का परसेंटेज 71.93 है जबकि कोहली का 58.82 फीसदी। कोहली इस फेहरिस्त में चौथे नंबर पर हैं। उनसे आगे लीजेंडरी सर डॉन ब्रेडमैन 62.50 के आंकड़े के साथ दूसरे तो रिकी पोटिंग 62.34 प्रतिशत की जीत के साथ तीसरे नंबर पर हैं। लेकिन विदेशी जमीं पर कोहली के जीतने की दर बेहद शानदार है। उन्होंने भारत से बाहर 43.24 की दर से मैच जीते। भारतीयों के लिए विदेशी दौरे अक्सर मुश्किल भरे होते रहे हैं। लेकिन कोहली ऐसे कप्तान रहे जिन्होंने विदेशी धरती पर जीत हासिल करने के जज्बे को टीम के भीतर डाला। उनकी निगरानी में गेंदबाजों ने जीतोड़ कोशिशें करके मेजबान टीमों को कई बार मुश्किलों में डाला। हालांकि, उनकी कप्तानी का अंत दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरिज में मिली हार से हुआ। अलबत्ता किंग कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने कई ऐसे मुकाम हासिल किए जिन्हें पाना दूसरों के लिए खासा मुश्किल होगा।

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