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शहंशाह-ए-गजल- मेहंदी हसन

मेहंदी हसन की गायकी पर राजस्थान के कलावंत घराने का रंग चढ़ा था, जो आखिर तक नहीं उतरा। उन्होंने गजल से पहले ठुमरी-दादरा के आलाप भरे पर आखिर में जाकर मन रमा गजलों में। उन्हें उर्दू शायरी की भी खासी समझ थी।

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