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उनसे बड़ा नादान कोई नहीं, हुजूर के प्रति मेरा ईमान है, मुझे नूपुर शर्मा के बयान पर अफसोस हुआ- बोले मुख्तार अब्बास नकवी

एक टीवी डिबेट शो के दौरान कहा कि नूपुर शर्मा के बयान पर अफसोस है लेकिन क्या उसके बदले में आ गला काट दोगे ये कहां तक सही है?
नकवी ने कहा, ये जो आपने घटना आपने बताई उदयपुर की हुई या कहीं और हुई वो बिलकुल अनएक्सेटेबल है। हम ये नहीं कहते हैं कि इश्यू नूपुर शर्मा का है। नूपुर शर्मा ने क्या कहा ये किसी जस्टीफाई नहीं किया लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप किसी का गला काट देंगे। उन्होंने आगे कहा, ये कोई इस्लामिक देश नहीं है ये हिन्दुस्तान है ये एक सेक्युलर कंट्री है। हम नूपुर के बयान को जस्टीफाई नहीं कर रहे हैं। गला काट देना आतंकवाद है बयान देना तो आतंकवाद नहीं है। लाशें बेगुनाह के सामने डाल देना आतंकवाद है। मैं नूपुर को जस्टीफाई ना करते हुए कह रहा हूं कि जो उसने कहा वो बिलकुल गलत है। कोई उसको स्वीकार नहीं कर सकता है लेकिन ये भी तो नहीं हो सकता है कि आप गले पर गले काटते रहिए।

नकवी ने बताया,आप हिजाब हॉरर हंगामा भूल गए क्या हिजाब हॉरर हंगामा एक सुनियोजित तरीके से होता है और उस हिजाब हॉरर हंगामे में कौन कूदता है अलकायदा कूदता है, तालिबान कूद जाता है और मुस्लिम लड़कियों की तालीम और तरक्की पर ताला जड़ने की कोशिश करता है। ऐसे में हमारे देश को लोग भी उसमें कूद जाते हैं। हमारे देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी के दो नेता सबसे पहले कूद जाते हैं कि कोई कुछ भी पहने बिकनी पहने ये पहने वो पहने उसको पहनने दो।

2014 से पहले के दंगों पर भी एक नजर डालिए
मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि ये बात सही है कि इस सरकार ने विकास में कोई अंतर नहीं किया लेकिन वोटों में थोड़ा अंतर जरूर करता रहा उसी के लिए हम काम कर रहे हैं। अगर हम पिछले 8 सालों के शासन की बात करें तो जमीनी हकीकत कहती है, इस देश में आतंकवाद से लेकर सांप्रदायि उन्माद और दंगों का जो इतिहास रहा है जैसे भागलपुर का दंगा डेढ़ साल से ज्यादा समय तक चला इस दंगे में हजारों लोग मरे, लोगों ने पलायन किया। भिवंडी का दंगा सारे के सारे लूम का धंधा खत्म हो गया था। भिवंडी से लेकर मलियाना को देख लीजिए मलियाना जहां जिंदा लोगों को ट्रकों में लादकर फेंक दिया गया था। सारे लोग मर गए थे। ये एक लंबा 5 हजार से ज्यादा दंगों का इतिहास है।

8 सालों में सांप्रदायिक दंगे न के बराबर
इस दौरान 8 सालों में सांप्रदायिक दंगों की घटनाएं बहुत कम मामुली तौर पर हुई हैं। अगर कश्मीर की कुछ घटनाओं को छोड़कर देश के किसी हिस्से में आतंकवादी घटनाएं नहीं हो पाईं हैं। पहले होता था कि कभी कलकत्ता में दंगा हुआ, कभी लाजपत नगर में धमाका हो रहा है, तो कहीं मुंबई में धमाका हो रहा है, तो कहीं हैदराबाद में धमाका हो रहा है, तो कहीं मक्का मस्जिद में हो रहा है तो कहीं अजमेर शरीफ में हो रहा है। कहने का मतलब है पूरे देश में एक महीने और डेढ़ महीने के अंतराल पर धमाके होते रहते थे जिनमें सैकड़ों बेगुनाह लोग मारे जाते थे।

पिछले 8 सालों में देश में शांति और सुकून का माहौल
पिछले 8 सालों से देश में एक शांति और सुकून का माहौल बना लेकिन दुर्भाग्यवश जो मोदी बैशिंग ब्रिगेड रही वो उसकी बेचैनी का कारण बनती गई। ये मोदी बैशिंग ब्रिगेड हिन्दुस्तान में ही नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के इर्द-गिर्द भी थी। आपने देखा होगा कि अगर हिन्दुस्तान में कोई भी मामला होता तो आस-पास के लोग यहां तक अलकायदा भी उस पर बयानबाजी करने लगता है।

विपक्षी नेता मोदी विरोध में देशद्रोह पर उतर जाते हैं
2014 के बाद से अगर देखा जाए तो ये जो पिटे हुए पॉलिटिकल प्राणी हैं वो एक दिन भी चैन से नहीं बैठे हैं। उनको लगता था कि मोदी कैसे जीते जा रहे हैं। मोदी को जनता कैसे जनादेश दिए जा रही है। तो ये मोदी बैशिंग की जो सनक है वो भारत बैशिंग की साजिश तक पहुंच गई। चिट्ठी लिखना दुनिया को ये बताना कि भारत में तो बिलकुल इनटॉलरेंस है। असहिष्णुता है लोग अनसेफ हैं। सन 2000 में अलकायदा दुनिया के प्रमुख देशों में अपनी जड़ें जमाना शुरु कर देता है।



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