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कल के इंतजार में न बैठे रहें

अधिकतर युवा और विद्यार्थी अपने कार्यों को कल पर टाल देते हैं और वह कल कभी नहीं आता है। काम टालने की प्रवृत्ति के बहुत सारे नुकसान हैं। इसका नकारात्मक प्रभाव हमारी कार्य-कुशलता पर पड़ता है। जैसे-जैसे हम कार्यों को टालते जाते हैं, वैसे-वैसे उनकी संख्या बढ़ती जाती है। कार्यों का जब ढेर लग जाता है तो हम यह नहीं समझ पाते हैं कि इन कार्यों को कहां से शुरू किया जाए।

ऐसे में ये कार्य अधूरे ही रह जाते हैं और उसके गंभीर परिणाम हमें भुगतने पड़ते हैं। कार्य टालने की प्रवृत्ति का प्रभाव हमारे चरित्र पर भी पड़ता है। अपने आलस्य के औचित्य को सिद्ध करने के लिए हमें विभिन्न बहाने बनाने पड़ते हैं और झूठ बोलने पड़ते हैं।कामों को टालते रहने से समय की हानि भी कम नहीं होती। आज सोचते हैं, कल करेंगे, कल सोचेंगे, अगले दिन करेंगे।

प्रतिदिन के इस सोचने में जो समय लगता है, उसका यदि लेखा-जोखा लिया जाए तो हम पाएंगे कि कितने ही अमूल्य घंटे इसमें समाप्त हुए हैं। अच्छा हो, इस गलत प्रवृत्ति पर नियंत्रण रखा जाए। ठान लें कि प्रत्येक कार्य निश्चित समय पर करेंगे। हो सकता है ऐसा करने में शुरुआत में थोड़ी समस्या आए लेकिन इस आदत की वजह से हम धीरे-धीरे सफलता की राह पर आगे बढ़ने लगेंगे। कार्यों को जल्द पूरा करने की सबसे बेहतर रणनीति तो यही है कि प्राथमिकता के आधार पर हर दिन के कार्य उसी दिन पूरे किए जाएं। श्रेष्ठ व्यक्ति वही हैं जो अवसर को अपने अधीन रखते हैं, न कि स्वयं उसके अधीनस्थ रहते हैं।



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