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समय से पहले सूरज का ताप, 122 साल में सबसे गर्म मार्च

विशेष डेस्क

गर्मी ने 122 साल पहले ऐसा रौद्र रूप दिखाया था। मौसम विज्ञानी हैरत में हैं और उनका अनुमान है कि मार्च में पारा जिस तरह चढ़ा और देश में कई जगह लू जैसी स्थिति पैदा हुई, वह अप्रैल में भी जारी रह सकती है। दिल्ली और एनसीआर के बारे में तो भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान जताया है अप्रैल महीने में मंगलवार से लू का दौर शुरू हो सकता है। ऐसी स्थिति 2017 में हुई थी जब चार दिन तक राजधानी के लोगों को लू का कहर झेलना पड़ा था।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने शनिवार को कहा कि भारत में 122 वर्ष में मार्च सबसे गर्म रहा। मौसम विभाग ने इस असामान्य गर्मी की वजह भी बताई। उसके मुताबिक पूरे देश में 8.9 मिलीमीटर वर्षा ही दर्ज की गई, जो कि इसकी लंबी अवधि की औसत वर्षा 30.4 मिलीमीटर से 71 फीसद कम थी। वर्ष 1909 में 7.2 मिलीमीटर और 1908 में 8.7 मिलीमीटर के बाद 1901 से मार्च में तीसरी बार सबसे कम बारिश रही।

यूं तो मार्च में गर्मी की लहरें बहुत दुर्लभ घटना नहीं होती हैं, ये आम तौर पर भारत के मध्य भागों तक ही सीमित होती हैं, मगर खास बात यह इस वर्ष इसे उत्तर-पश्चिम भारत में हिमालय की तलहटी तक अनुभव किया गया। पश्चिम-मध्य और उत्तर-पशिचम भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान कई दिनों तक बना रहा, जिसके कारण मार्च में गर्मी की दो लहरें उठीं- पहली 11 से 21 मार्च तक और दूसरी 26 मार्च से शुरू हुई और यह महीने के अंत तक जारी रही।

गर्मी की लहरों की अधिकतम आवृत्ति मई के महीने में और मानसून की शुरुआत से ठीक पहले यानी जून के शुरू में होती है। लेकिन आंकड़ो से पता चलता है कि मार्च में भी गर्मी की लहरें आती हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, आमतौर पर देश के मध्य भाग – गुजरात, तेलंगाना, दक्षिणी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों, छत्तीसगढ़ में मार्च में गर्मी की लहरें आती हैं। लेकिन इस बार हमने दक्षिणी जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में भी गंभीर स्थिति देखी। यहां तक कि जब कई जगहों पर लू की स्थिति नहीं थी, तब भी तापमान सामान्य से काफी अधिक था।

महापात्रा के मुताबिक मध्य और उत्तर पश्चिम भारत के कई क्षेत्रों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान का सही अनुमान लगाया गया था और दक्षिण प्रायद्वीप के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की भविष्यवाणी भी सही निकली। हालांकि, उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की भविष्यवाणी सही नहीं निकली। इसकी वजह निचले और मध्य क्षोभमंडल पर उच्च दबाव वाली कोशिकाओं की भूमिका जो हवा को नीचे की ओर ले जाने में मदद करती है, गर्मी की लहरों को जन्म देती है।

मौसम विभाग के मुताबिक, हरियाणा और दिल्ली सहित दक्षिण पाकिस्तान से दक्षिण गुजरात की ओर उत्तर पश्चिम भारत की ओर हवाएं चल रही थीं, इसलिए इस क्षेत्र से उत्तरी भागों में गर्मी आई और इससे हिमालय की तलहटी मं भी पारा चढ़ गया। साथ ही हरियाणा व दिल्ली में भी अछूते नहीं रहे। देश में बारिश की गतिविधि काफी कम रही और इस बार कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं था, जिसके परिणामस्वरूप ठंडी हवाएं नहीं आ सकीं और दक्षिण गुजरात, दक्षिण पाकिस्तान से उत्तरी भागों की ओर दक्षिण की हवाएं चल रही थीं।

मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि काफी कम वर्षा गतिविधि की मात्रा रही और पूरे देश में शून्य से 72 प्रतिशत वर्षा की कमी दर्ज की गई। उत्तर-पश्चिम भारत में शून्य से 89 फीसद प्रस्थान, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में शून्य से 59 फीसद प्रस्थान, मध्य भारत में शून्य से 86 फीसद प्रस्थान, जबकि दक्षिण प्रायद्वीप में शून्य से 13 फीसद प्रस्थान आंका गया। वैसे मौसम विभाग ने कहा कि दो से चार दिनों में जम्मू, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में गर्म हवाएं चलेंगी।



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