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मुख्यमंत्रियों को हराने के लिए जाना जाता है उत्तराखंड

उत्तराखंड में 2012 के विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ मुख्यमंत्रियों के हारने का सिलसिला लगातार जारी है। इस बार भी सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हार गए। राज्य में भाजपा धामी के चेहरे से नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे से चुनाव जीती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के चुनाव में अंतिम चरण में लगातार चार सभाएं कर बाजी पलटीं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट से, कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष पार्टी के प्रत्याशी भुवन चंद कापड़ी से चुनाव हारे। धामी के चेहरे पर भाजपा उत्तराखंड में चुनाव लड़ रही थी। भाजपा का नारा था- युवा मुख्यमंत्री युवा उम्मीद। धामी को हराकर जनता ने भाजपा के इस नारे को भले नकार दिया हो मगर भाजपा विधानसभा की 48 सीट हासिल करके फिर से सत्ता में आ गई। उसने 20 सालों का राज्य का यह रेकार्ड तोड़ दिया कि जो पार्टी एक बार सरकार बना लेती है वह दूसरी बार सरकार नहीं बना पाती।

2017 के विधानसभा चुनाव में तबके कांग्रेस के मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों सीटों से चुनाव हार गए थे। इससे पहले भाजपा के मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हार गए थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए भुवन चंद्र खंडूरी कोटद्वार विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार कांग्रेस सुरेंद्र सिंह नेगी से चुनाव हार गए थे।

उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते हुए दो विधानसभा क्षेत्रों किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव हारे थे और इस बार पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हार गए। 2012 में खंडूरी चुनाव हारे थे और पार्टी 32 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। कांग्रेस को 33 सीटें मिली थीं और राज्य में कांग्रेस ने अपनी सरकार बना ली थी। इस बार भले ही धामी चुनाव हार गए हों परंतु भाजपा ने 48 सीटें हासिल करके लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बना ली हैै।

2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा को नौ सीटों का नुकसान हुआ है। 2017 में भाजपा ने 57 सीटें जीती थी और कांग्रेस 11 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। इस बार कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत हासिल की है और कांग्रेस को 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले आठ सीटों का फायदा हुआ है।



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