नई दिल्लीः सियासत को अलविदा कह सकते हैं गुलामनबी? सिविल सोसायटी की तारीफ कर दिया संकेत
कांग्रेस के दिग्गज गुलामनबी आजाद रविवार को जम्मू में थे। उनके तेवर जिस तरह के दिखे उसमें झलका कि वो राजनीति से किनारा करने के मूड़ में हैं। उन्होंने सिविल सोसायटी की दिल खोलकर सराहना की। लेकिन उससे पहले अपनी पार्टी समेत तमाम राजनीतिक दलों को धार्मिक व सामाजिक विघटन का जिम्मेदार ठहरा दिया। उनके तेवरों से लग रहा था कि वो राजनीति से आजिज आ चुके हैं और अलविदा कहने के मूड़ में हैं। वो सिविल सोसायटी के जरिए सक्रिय रह सकते हैं।
जम्मू के गार्डन एस्टेट में आयोजित कार्यक्रम में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि समाज में 90 फीसदी बुराइयों के लिए राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं। वो बोले- मैं कांग्रेस पार्टी के नेता के तौर पर नहीं बल्कि एक इंसान के तौर पर जम्मू की सिविल सोसायटी को संबोधित कर रहा हूं।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि देश में चालीस साल पहले हर तरफ गांधीवादी लोग दिखते थे, लेकिन अब ये लोग बहुत कम हो चुके हैं। इनकी तरह से कांग्रेस भी सिकुड़ गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में उन्हें 47 साल हो गए हैं और हर कोई यही जानता है कि वह शुरू से ही कांग्रेस में हैं, लेकिन पहले वह गांधीवादी हैं और फिर कांग्रेसी।
आजाद ने कहा कि मेरा मानना है कि महात्मा गांधी सबसे बड़े हिंदू और धर्मनिरपेक्षतावादी थे। कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जो हुआ उसके लिए पाकिस्तान और आतंकवाद जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद ने सभी हिंदुओं, कश्मीरी पंडितों, कश्मीरी मुसलमानों, डोगराओं को प्रभावित किया है।
पांच राज्यों में हार के बाद गुलामनबी ने पहली दफा इस तरह से बात की है। बीते रविवार को सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में उनके गुट के नेताओं के तेवर तल्ख थे। कपिल सिब्बल ने तो गांधी परिवार के खिलाफ बिगुल ही फूंकने की बात कह दी थी। लेकिन उसके बाद के दौर में जी 23 के लोग सिब्बल के बयान से दूरी बनाते दिखे। उनके घर होने वाली मीटिंग को भी कैंसिल कर दिया गया। आजाद कहते दिखे कि सोनिया भी पार्टी की बेहतरी चाहती हैं।
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