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जनवरी के प्रारंभ में ही सक्रिय हो गई थी सरकार

अनिल बलूनी

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता इस वक्त हर हाल में हर भारतीय की सुरक्षित देश वापसी है। मोदी सरकार अपने खर्च पर सभी भारतीय नागरिकों का बचाव कर रही है। इतना ही नहीं, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि यूक्रेन में फंसे नागरिकों को निकालने के लिए विकासशील देशों और अपने पड़ोसी देशों की मदद के लिए भी तैयार है। सरकार चार बड़े मंत्रियों हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जनरल वीके सिंह और किरिन रिजीजू को यूक्रेन में फंसे हुए भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए चलाए जा रहे अभियान की निगरानी के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेज रही है।

रूस और यू्क्रेन का युद्ध वैश्विक संकट बन चुका है। पूरी दुनिया के लोग इस युद्ध के कारण चिंता में हैं, विशेषकर वे लोग जिनके परिजन इन देशों में फंसे हुए हैं। भारत भी इस संकट से अलग नहीं है, लेकिन 20 हजार भारतीय (जिसमें अधिकतर छात्र हैं), जो यूक्रेन में रह रहे थे, उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार की कूटनीति, रणनीति और संबंधित देशों से रिश्तों के कारण वतन वापसी का सुरक्षित गलियारा मिला हुआ है। यूक्रेन में रह रहे भारतीयों की सुरक्षित रहने की गारंटी भारत का तिरंगा झंडा है, जो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरे विश्व में भारतीयों की सुरक्षा, विश्वास और भरोसे का प्रतीक बन चुका है।

नरेंद्र मोदी सरकार में हमने देखा है कि जब-जब विदेश में भारतीय नागरिकों पर संकट आया है, तब-तब भारत सरकार ने अपनी रणनीति और विदेश नीति से उन परिस्थितियों का सम्मानजनक हल निकाला। अपने देशवासियों की वतन वापसी की सुरक्षित व्यवस्था की। नरेंद्र मोदी सरकार के सफल बचाव और राहत अभियानों से पूरी दुनिया वाकिफ है कि भारत सरकार किस तरह सजग रहकर सदैव अपने नागरिकों की रक्षा के लिए कदम उठाने को तत्पर रहती है।

यूक्रेन में खराब होती स्थिति का अंदाजा लगाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार और यूक्रेन में भारतीय दूतावास जनवरी के शुरुआती सप्ताह से ही सक्रिय हो गए थे। पूरे यूक्रेन में फैले भारतीय नागरिकों और छात्रों का डाटा जनवरी में ही तैयार कर लिया गया था और भारतीय दूतावास द्वारा परामर्श जारी कर दिया गया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता इस वक्त हर हाल में हर भारतीय की सुरक्षित देश वापसी है। मोदी सरकार अपने खर्च पर सभी भारतीय नागरिकों का बचाव कर रही है। इतना ही नहीं, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि यूक्रेन में फंसे नागरिकों को निकालने के लिए विकासशील देशों और अपने पड़ोसी देशों की मदद के लिए भी तैयार है।

मोदी सरकार चार बड़े मंत्रियों हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जनरल वीके सिंह और किरिन रिजीजू को यूक्रेन में फंसे हुए भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए चलाए जा रहे अभियान की निगरानी के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेज रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने अब ‘आपरेशन गंगा’ में वायुसेना को भी जुड़ने का आदेश दिया है। वायुसेना के जुड़ने से भारतीयों के लौटने की प्रक्रिया गति पकड़ेगी और उनकी संख्या में भी वृद्धि होगी। इसके साथ ही भारत से भेजी जा रही राहत सामग्री भी और तेजी से पहुंचेगी।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन की सीमा से सटे पड़ोसी देशों रोमानिया, पोलैंड, हंगरी और स्लोवाकिया के विदेश मंत्रियों से भारतीय नागरिकों की वापसी में सहयोग देने पर बात की। ये सभी देश बिना वीजा के भारतीय नागरिकों को अपनी सीमा में आने, ठहरने और वतन वापसी में सहयोग देने पर खुले मन से सहमत हैं। रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया की सरहद पर विदेश मंत्रालय की टीमें तैनात की गई हैं।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेरिका और चीन जैसे बड़े देश भी यूक्रेन से अपने नागरिकों को बाहर निकालने में अपने को असमर्थ पा रहे हैं और उन्होंने अपने नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया है, लेकिन मोदी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा सरकार ने अपने नागरिकों को ऐसी विषम परिस्थिति में भी अकेला न छोड़ते हुए यह सिद्ध कर दिया है कि भारत हमेशा अपने नागरिकों के साथ है। यूक्रेन से लौट रहे भारतीय नागरिकों के चेहरे पर गर्व की कहानी यही बयां करती है।

ऐसा पहली बार नहीं है, जब मोदी सरकार ने विदेशों में संकट में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए ऐसे मिशन चलाए हैं। पिछले साल तालिबानी कब्जे के बाद अफगानिस्तान से भी हजारों भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए ‘आपरेशन देवी’ शक्ति चलाया था। मई 2020 से ‘वंदे भारत मिशन’ आरंभ हुआ था, जिसके तहत 24 जुलाई तक 88,000 से अधिक उड़ानें स्वास्थ्य संबंधी प्रोटोकाल की प्रक्रियाओं के सख्त अनुपालन के तहत संचालित की गईं और 100 से अधिक देशों से 71 लाख से अधिक नागरिकों को स्वदेश लाया गया।

यहां तक कि वुहान से भी भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की गई। 2014 में जब इराक गृह युद्ध में फंसा था और वहां 46 भारतीय नर्सों को इस्लामिक स्टेट आफ इराक और सीरिया के आतंकवादियों द्वारा तिकरित के एक अस्पताल में 23 दिनों से बंधक बनाए रखा गया था, तब यह भारत सरकार का कूटनीतिक प्रयास ही था जिसके जरिए ‘आपरेशन संकट मोचन’ के तहत सभी नर्सों को वहां से सुरक्षित स्वदेश वापस लाया गया।

वर्ष 2015 में, जब यमन में संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया था तो वहां कई देशों के लोग प्रभावित क्षेत्र में फंस गए थे। भारत सरकार ने लोगों को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, ‘आपरेशन राहत’ के तहत न केवल भारतीय, बल्कि अन्य देशों के नागरिकों को भी वहां से सुरक्षित निकाला गया। कई देशों ने अपने बचाव कार्य में भारत से मदद मांगी और भारत ने व्यापक स्तर पर जिस तीव्र गति से बचाव कार्य किया, वह अभूतपूर्व और अत्यधिक प्रभावी रहा।

मार्च 2015 में ही रायल सऊदी वायुसेना ने अरब राज्यों के गठबंधन का नेतृत्व करते हुए जब हूती विद्रोहियों पर हमला कर दिया, तब भी भारत सरकार ने अपने कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से समुद्री और हवाई मार्गों से ‘आपरेशन राहत’ शुरू किया। इसके तहत लगभग 4,500 से अधिक भारतीयों के साथ-साथ अफ्रीका, एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका जैसे 41 देशों के कम से कम 900 नागरिकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाला गया।

देशवासियों को याद होगा कि 70 के दशक में एक वह दौर भी था जब युगांडा के राष्ट्रपति ईदी अमीन ने अपने देश से भारतवंशियों को 90 दिन के अंदर निकलने के आदेश दिए थे, लेकिन तब की केंद्र सरकार ने सिर्फ ईदी अमीन की निंदा करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था। 2016 में ब्रुसेल्स में हुए बम विस्फोट में फंसे लगभग ढाई सौ भारतीयों को जेट एअरवेज के कर्मचारियों सहित सुरक्षित लाया गया था।

2016-17 में मोदी सरकार ने ‘आपरेशन संकट मोचन’ के तहत यूक्रेन में फंसे 1,000 छात्रों और इराक में फंसे 7,000 भारतीयों को सुरक्षित निकाला, जिसमें सैकड़ों नर्सें भी शामिल थीं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सात वर्षों में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपने विश्वसनीय संबंधों की मजबूत जमीन तैयार की है। उसी का परिणाम है कि भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बदला है और आज भारत उन्हें जिम्मेदार राष्ट्र और मजबूत मित्र के रुप में दिखाई देता है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि पीएम मोदी की विदेश नीति और विदेश से अच्छे संबंधों के कारण व्यापक पैमाने पर भारतीयों का त्वरित बचाव हो पाया, जहां पाकिस्तान जैसे देशों के नागरिक अपने को बचाने की गुहार लगाते दिखते हैं, वहीं भारत के नागरिक शान से तिरंगा लिए संकटग्रस्त क्षेत्रों से निकाल लिए जाते हैं। मोदी है तो मुमकिन है।
(लेखक राज्यसभा सांसद हैं)

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