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रक्षा खरीद में इजाफा, 68 फीसद रकम घरेलू उद्योगों के लिए

रक्षा खरीद बढ़ाया जाएगा। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए बजट में रक्षा पर आवंटन बढ़ाया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रक्षा बजट को पिछले साल के 4.78 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ रुपए किया गया है। इसके साथ ही सैन्य साजोसामान के निर्माण में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है। बजट प्रावधानों के अनुसार रक्षा खरीद व्यय का 68 फीसद हिस्सा स्थानीय उद्योगों से खरीद के लिए होगा, वहीं रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 फीसद निजी क्षेत्र के साथ सहयोग के लिए होगा। निजी क्षेत्र के लिए, परीक्षण और प्रमाणन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक स्­वतंत्र ‘नोडल अंब्रेला’ निकाय की स्थापना की जाएगी।

रक्षा पेंशन के लिए 1,19,696 करोड़ रुपए को शामिल करते हुए रक्षा बजट कुल 5,25,166 करोड़ का है और इसमें पिछले वर्ष के कुल व्यय की अपेक्षा 9.8 फीसद की वृद्धि हुई है। पेंशन मद को छोड़कर रक्षा बजट कुल 4,05,470 करोड़ रुपए का है। रक्षा बजट में पूंजीगत व्यय के लिए कुल 1,52,369 करोड़ रुपए रखे गए हैं, जिनमें नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजोसामान की खरीद शामिल हैं।

वर्ष 2021-22 के लिए, पूंजीगत व्यय के लिए बजट आवंटन 1,35,060 करोड़ रुप था, लेकिन संशोधित अनुमान के अनुसार 1,38,850 करोड़ रुप खर्च किए गए। बजट दस्तावेजों के अनुसार, राजस्व व्यय के लिए 2,33,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिनमें वेतन भुगतान और प्रतिष्ठानों के रखरखाव पर होने वाले खर्च शामिल हैं जबकि रक्षा मंत्रालय (सिविल) के लिए 20,100 करोड़ रुपए अलग रखे गए हैं।

पूंजी परिव्यय मद के तहत थल सेना को 32,015 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले साल यह 36,481 करोड़ रुपए था। बजट दस्तावेजों के मुताबिक, थल सेना आवंटित राशि में से 25,377 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाई। नौसेना को पूंजीगत परिव्यय मद के तहत 47,590 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जबकि पिछले साल बजटीय परिव्यय 33,253 करोड़ रुपए था। 2021-22 के संशोधित अनुमान के अनुसार, नौसेना ने 33,253 करोड़ रुपए के आवंटन के मुकाबले 46,021 करोड़ रुपए खर्च किए।

वायु सेना को पिछले साल के 53,214 करोड़ रुपए के मुकाबले पूंजीगत परिव्यय मद में 55,586 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। बजट दस्तावेजों के मुताबिक, वायुसेना आवंटित राशि में से 51,830 करोड़ रुपये खर्च कर सकी। रक्षा अनुसंधान और विकास स्टार्ट-अप, उद्योग और शिक्षाविदों के लिए खोला जाएगा तथा इसके लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 फीसद निर्धारित किया गया है। निजी उद्योगों को ‘एसपीवी माडल’ के जरिए डीआरडीओ और अन्य संगठनों के सहयोग से सैन्य मंच और उपकरणों के डिजाइन और विकास के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

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