ध्रुवीकरण के पैंतरे से असली मुद्दों को दरकिनार करने की सियासत
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मुद्दे हर दल के हिसाब से अलग-अलग हैं। पर महंगाई जैसे अहम मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा अपनी तरफ से कोई सफाई देने की जरूरत भी नहीं समझ रही। एक दौर था जब प्याज की बढ़ती कीमतों को इंदिरा गांधी ने लोकसभा के चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था।
महंगाई के विरोध मे राजनीतिक दल आज पहले की तरह विरोध प्रदर्शन भी नहीं करते। पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों मे मामूली बढ़ोतरी के विरोध में भी लोग सड़कों पर उतर जाते थे। लेकिन इन जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छू जाने पर भी आम आदमी अपना दर्द या तो व्यक्त नहीं करता या दूसरे मुद्दों ने इसको दबा दिया है।
उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके लक्ष्मीकांत वाजपेयी दावा करते हैं कि उनकी पार्टी विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। उनकी सरकार ने ऐसा विकास किया है, जिसका लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचा है। पहले की सरकारें विकास भी जाति और पंथ की कसौटी पर करती थी। कानून व्यवस्था बेहतर करने से सूबे के लोग चैन की जिंदगी जी रहे हैं।
भाजपा को सीधे टक्कर देती दिख रही समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि भाजपा सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण की चाहे जितनी कोशिश कर ले, पर अंतत: जनादेश उसके खिलाफ रहेगा। आम आदमी महंगाई से त्रस्त है। बेरोजगारी बढ़ी है। सरकारी नौकरियां भाजपा के राज में कम हुई हैंं। इसी तरह किसान परेशान हैं। मुलायम सिंह यादव के सहयोगी रहे राजपाल सिंह रजपुरा का कहना है कि योगी सरकार ने गन्ना किसानों के साथ लगातार अन्याय किया है। चार साल तक गन्ने का दाम नहीं बढ़ाया।
सूबे में बड़ी आबादी दलित मतदाताओं की है। कानून व्यवस्था में सुधार के भाजपा के दावों को सफेद झूठ बताते हुए कांग्रेस के कार्यकर्ता अमरजीत चिन्योटी कहते हैं कि हाथरस में दलित युवती के साथ बलात्कार करने के बाद न केवल उसकी हत्या कर दी गई बल्कि उसके घर वालों को उसका अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया गया। लखीमपुर में किसानों को भाजपा के ही एक केंद्रीय मंत्री के बेटे ने कार से कुचल कर मार दिया। कानपुर के एक व्यापारी को पुलिस ने मुख्यमंत्री के गोरखपुर शहर में बेवजह मौत के घाट उतार दिया। ऐसी अनेक घटनाएं हैं, जो राज्य सरकार की नाकामी का सबूत हैं।राष्ट्रीय लोकदल के नेता और पूर्व मंत्री डाक्टर मैराजुद्दीन का आरोप है कि भाजपा के पास घुमा फिराकर सांप्रदायिक धु्रवीकरण के सिवा और कोई मुद्दा है ही नहीं।
कांगे्रस के पुराने नेता रोहिताश्व कुमार अग्रवाल के हिसाब से किसान, दलित, नौजवान और महिलाएं सभी वर्ग भाजपा की सरकार के प्रदर्शन से नाखुश हैं। इस सरकार ने लोगों की बुनियादी समस्याओं की अनदेखी की है। दलितों, महिलाओं, नौजवानों और समाज के सभी वर्गों की समस्याओं का समाधान अग्रवाल को कांगे्रस के पास नजर आता है। वे दावा करते हैं कि पार्टी की कमजोर स्थिति के बावजूद लोगों के मुद्दों को प्रियंका गांधी ने लगातार उठाया है। महिलाओं के सशक्तिकरण का रोड मैप भी कांग्रेस ही दे सकती हैै।
वरिष्ठ वकील आशुतोष गर्ग मानते हैं कि भाजपा सरकार ने चुनाव के वक्त किए वादों को भुला दिया। विकास के नाम पर हाईवे बनाने की दुहाई देने वाले भाजपाई भूल जाते हैं कि इनसे आम आदमी का कोई वास्ता नहीं। हाईवे पर दो पहिया वाहन और किसानों के ट्रैक्टर नहीं चल सकते। गरीब महिलाओं को गैस के सिलेंडर देने का क्या फायदा? नौ सौ रुपए की गैस वह भरवा नहीं सकती। सरकारी आंकड़े प्रमाण हैं कि जिनको ऐसे सिलेंडर दिए गए वे साल में दो सिलेंडर भी नहीं भरवा पाए।
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