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86 आरक्षित सीटों में छिपी सत्ता की कुंजी

उत्तर प्रदेश के विधानसभा में नेताओं के बयान, वादों की झड़ी, हर तरफ मुफ्त से लग रहा है मानों कोई सेल चल रही हो। इन सब के बीच पांच साल योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जनता के लिए क्या किया? भाजपा इसे आधार बना कर चुनाव मैदान में है। योगी अपने काम पर वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी जनता से तमाम वादे कर रही हैं। कोई तीन सौ यूनिट बिजली पहले मुफ्त देने की बात कर रहा है तो कोई बाद में।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने जनता से वादा किया है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाएगी। इसका लाभ 12 लाख शिक्षक, कर्मचारियों और अधिकारियों को मिलेगा। उधर, भाजपा अखिलेश सरकार में दी जाने वाली पेंशन व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रही है। कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में धार देने की पुरजोर कोशिश में लगीं प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की महिलाओं को सबल बनाने के लिए लडकी हूं, लड़ सकती हूं अभियान शुरू किया। लेकिन इसमें शामिल प्रियंका मौर्या ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। मुलायम सिंह की पुत्रवधू अपर्ण यादव भी भाजपा में जा चुकी हैं। प्रियंका ने भी मुफ्त स्कूटी देने का मास्टर कार्ड खेल कर उत्तर प्रदेश की सत्ता की दहलीज तक पहुंचने की कोशिश की है।

वही, पांच साल की सरकार के काम का रिपोर्ट कार्ड ले कर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उतरे योगी आदित्यनाथ मुफ्त टीकाकरण, मुफ्त राशन, बिजली के दाम आधे, एक जिला एक उत्पाद से करोड़ों हुनरमंदों को रोजगार देने और लाखों नए लघु और मध्यम उद्योग लगाने की उपलब्धि गिना रहे हैं। माफिया की जमीन पर बुलडोजर चलवा कर उसपर गरीबों के लिए मकान बना कर देने की बात भी जनता से कर रहे हैं।

इस सबके बावजूद माना जा रहा कि सत्ता की कुंजी 403 विधानसभा सीटों में से आरक्षित 86 सीटों से ही खुलेगी। इन सीटों का असर उत्तर प्रदेश की सियासत में कितना गहरा है? इस बात का अंदाज 2007 से 2017 तक हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम बताते हैं। 2007 में इन 86 सीटों में बहुजन समाज पार्टी ने 62 सीटें जीत कर लम्बे वक्त के बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। इस चुनाव में सपा को इनमें से 13, भाजपा को 7 और कांग्रेस को सिर्फ 5 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।

2012 में सपा ने इन 86 सीटों में से 56 पर कब्जा किया और अखिलेश यादव की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। इस चुनाव में बसपा को 15 और भाजपा को सिर्फ तीन सीटें ही मिली थीं। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में दलित भाजपा के खेमे में आ खड़ा हुआ। इस कदर कि इन 86 सीटों में से 78 पर भारतीय जनता पार्र्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। जबकि उसकी सहयोगी सुभासपा को तीन और अपना दल को दो सीटें मिलीं। सिर्फ दो पर ही बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी जीत पाए। जबकि समाजवादी पार्टी का इस चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया।

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