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भारतीय महिलाओं ने जगाई आस

मनीष कुमार जोशी

ओलंपिक में भारत ने सात पदक जीते। यह उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। सभी पदक विजेताओं का जमकर स्वागत हुआ। पदक विजेताओं के साथ हमें उन जानदार खिलाड़ियों को भी नहीं भूलना चाहिए जो पदक तो नहीं जीत पाए लेकिन उन्होंने असंभव को संभव करते हुए लोगों का दिल जीता। तोक्यो गए भारतीय दल में कुछ खिलाड़ियों ने खेल विशेषज्ञों को झुठलाते हुए शानदार प्रदर्शन किया और हार कर भी इतिहास रच दिया।

इसमें सबसे ऊपर नाम आता है अदिति अशोक का। यही वो गोल्फर हैं जिनके लिए पूरे देश ने पहली बार गोल्फ का मैच इतनी तन्मयता से देखा। 90 फीसद भारतीयों को गोल्फ समझना तो दूर इसका स्कोर भी देखना नहीं आता है। इन सब के बावजूद भारतीयों ने ओलंपिक मे गोल्फ का फाइनल देखा। दुनिया में 200 नंबर की रैंकिंग वाली भारतीय गोल्फर से देशवासियों को कोई उम्मीद नहीं थी। इसके उलट उन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया। अदिति ने गोल्फ के मैदान पर कमाल कर दिखाया। जब अंतिम चरण से पूर्व अदिति दो नंबर पर थी तो पूरे देश की उम्मीदें हिलोरे ले रही थी। हालांकि उनकी किस्मत अच्छी नहीं रही और वह एक शॉट चूक गर्इं। इसके कारण वे चौथे नंबर पर चली गर्इं और कुछ अंकों से पदक से चूक गईं।

गोल्फ की तरह महिला हॉकी में भी भारतीय खिलाड़ियों ने आश्चर्यजनक प्रदर्शन किया। ओलंपिक से पहले यह माना जा रहा था कि भारतीय महिलाएं क्वार्टर फाइनल मे पहुंच गर्इं तो बड़ी उपलब्धि होगी। लेकिन उन्होंने क्वार्टर फाइनल में आॅस्ट्रेलिया को हराकर चौंका दिया। सेमी फाइनल में टीम हार गई। कांस्य पदक मैच में ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ उन्होंने जोरदार प्रदर्शन किया। हालांकि टीम 4-3 से हार गई। इसके बावजूद पूरे देश ने खिलाड़ियों का जोरदार स्वागत किया। भारतीय महिलाओं ने हॉकी को उम्मीदों के पंख लगा दिए।

लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुकी मैरीकॉम से तोक्यो में पदक की बड़ी उम्मीदें थीं। पहला मैच आसानी से जीत कर उन्होंने अपने इरादे जाहिर कर दिए। वे पदक जीतने को लेकर आश्वस्त थीं। उन्होंने दूसरा मैच कोलंबिया की महिला मुक्केबाज से लगभग जीत ही लिया था। वे अपनी जीत की खुशियां भी मनाने लगी थीं। लेकिन निर्णायकों ने कोलंबिया की मुक्केबाज को विजेता घोषित कर दिया। इस फैसले से मैरीकॉम को झटका लगा। उन्होंने खेल भावना का सम्मान करते हुए यह फैसला स्वीकार किया। उनकी आंखों मे आंसू थे परन्तु यह सम्मान के आंसू थे। वे हारकर भी देशवासियों के दिलों पर राज कर गईं।

टेबल टेनिस में भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक के लिए क्वालिफाई तो कर लेते हैं लेकिन उनका प्रदर्शन भाग लेने तक सीमित रहता है। इस बार मनिका बत्रा ने टेबल टेनिस मे कमाल का प्रदर्शन किया। वे पहली भारतीय महिला हैं जो ओलंपिक में टेबल टेनिस में तीसरे दौर तक पहुंचीं। दुनिया की 63 नंबर की रैंकिंग होने के बावजूद उन्होंने अपने से कम रैंकिंग वाली खिलाड़ियों को हराया। इसी तरह तलवारबाजी में भारत की ओर से कभी किसी खिलाड़ी का नाम नही सुना। पहली बार किसी खिलाड़ी ने तलवारबाजी मे भारत की ओर से खेलों के महाकुंभ में क्वालिफाई किया। उन्होंने दूसरे दौर तक भारतीय चुनौती पेश की। यह होनहार खिलाड़ी भवानी देवी हैं। भवानी ने देश को इस खेल में नई उम्मीद दी। ये भारत की वे खिलाड़ी हैं जिन्होंने तोक्यो में पदक नहीं जीता लेकिन देश का दिल जीता है। इनके खेल से भारत ने उम्मीदों का तमगा हासिल किया है। इस तमगे से आने वाले समय मे कई सोने के तमगे भारत की झोली मे होगे।

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