युद्ध बनाम शांति
शांति की अपेक्षा बहुत से देश हथियारों के बाजार में अपना वर्चस्व कायम करने की होड़ में लग गए हैं। यह वाणिज्य फले-फूले और लाभकारी रहे, इसके लिए नित नए विवादों को हवा दी जाती है। हिंसा के सहारे ‘शांति’ की इच्छा रखने वालों को यह समझना होगा कि हिंसा से प्रतिहिंसा ही पनपती है। गांधी के दर्शन और जापान के परमाणु बम न बनाने के निर्णय को इसी आलोक में समझने की आवश्यकता है। आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा कर देगी।
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