ऐसौ को उदार जग माहीं
बड़ी अदालत ने ‘राजद्रोह कानून’ को हटाने का सुझाव दिया। मानवाधिकारिवादियों में जान पड़ी और भाजपा प्रवक्ता रक्षात्मक नजर आए! अदालत ने माना कि सत्ता इस कानून का दुरुपयोग करती है। मामूली ‘असहमति’ को भी राजद्रोह की तरह देखती है। जनतंत्र के लिए यह ठीक नहीं। अंग्रेजों के जमाने के इस कानून को हटा क्यों न दिया जाय?
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