पुस्तक अंश: क्या विवाह की संस्था दरक रही है?
निवेदिता मेनन की किताब 'नारीवादी निगाह से' में नारीवादी सिद्धातों की जटिल अवधारणाएं और व्यावहारिक प्रयोग स्पष्ट और सहज भाषा में प्रस्तुत किए गए हैं। यह बतलाती है कि नारीवाद पूरे समाज के लिए ज़रूरी मसला है, यह सिर्फ महिलाओं का सरोकार नहीं है। यह निवेदिता की खासी चर्चित पुस्तक 'सीईन्ग लाइक अ फेमिनिस्ट' का अनुवाद है, जो नारीवाद को पितृसत्ता पर अंतिम विजय का जयघोष साबित करने के बजाय समाज के एक क्रमिक लेकिन निर्णायक रूपांतरण पर ज़ोर देती है। नारीवादी निगाह से देखने का इसका आशय है मुख्यधारा तथा नारीवाद, दोनों की पेचीदगियों को लक्षित करना। इसमें जैविक शरीर की निर्मिति, जाति-आधारित राजनीति द्वारा मुख्यधारा के नारीवाद की आलोचना, समान नागरिक संहिता, यौनिकता और यौनेच्छा, घरेलू श्रम के नारीवादीकरण तथा पितृसत्ता की छाया में पुरुषत्व के निर्माण जैसे मुद्दों की पड़ताल की गई है।
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