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दुनिया मेरे आगे: मौन की नदी

साथ का सबसे सुंदर पल वह होता है जब आप साथ हों और पैदल चल रहे हों। संवाद स्थगित। भीतर भी बाहर भी। हम दोनों उस रोज ऐसे ही साथ में थे। कदम आगे बढ़ रहे थे और मन उन्हीं कदमों में लिपटा किलक रहा था।

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