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अभय चौटाला के इस्तीफे के साथ ही हरियाणा में बढ़ी सियासी हलचल, रामपाल माजरा ने भाजपा छोड़ी

 इनेलो नेता अभय चौटाला के विधानसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफे के बाद राज्‍य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। रामपाल माजरा ने भाजपा छोड़ दी है। वह पिछले विधानसभा चुनाव के समय इनेलो छाेड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।





चंडीगढ़, जेएनएन। पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हरियाणा के पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने बृहस्पतिवार को पार्टी छोड़ दी। तीन कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के समर्थन में रामपाल माजरा ने भाजपा को अलविदा कहा है। हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला द्वारा विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद रामपाल माजरा प्रदेश के दूसरे ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने यह निर्णय लिया है।

देवीलाल के साथ न्याययुद्ध में शामिल रहे थे पूर्व सीपीएस रामपाल माजरा

करीब 40 साल से राजनीति में सक्रिय रामपाल माजरा पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. ताऊ देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के भरोसेमंद साथियों में शामिल रहे हैं। चौटाला परिवार में जब राजनीतिक बिखराव की नौबत आई और इनेलो दोफाड़ हुा था, तब तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा के साथ रामपाल माजरा ने इस बिखराव को रोकने की भरसक कोशिश की, मगर कामयाब नहीं हो सके।


भाजपा पर लगाया किसान हितों की अनदेखी का आरोप

तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए पूर्व विधायक परमिंदर सिंह ढुल, बूटा सिंह और पूर्व सीपीएस श्याम सिंह पहले ही भाजपा को अलविदा कह चुके हैं। ढुल ने अभी कोई पार्टी ज्वाइन नहीं की, जबकि राणा इनेलो में शामिल हो चुके हैं। रामपाल माजरा पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के साथ एसवाईएल नहर निर्माण के लिए न्याय युद्ध में शामिल हुए।

किसानों के समर्थन में भाजपा छोड़ने का ऐलान करने के बाद माजरा जैसे ही अपने समर्थकों के बीच पहुंचे तो फतेहाबाद के पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया समेत आधा दर्जन नेताओं ने उनसे फोन पर बात की। संयोगवश पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा और पूर्व विधायक परमिंदर ढुल भी एमएलए हास्टल पहुंच गए, जहां तीनों ने इकट्ठे राजनीतिक चर्चा करते हुए दोपहर का भोजन किया।

भाजपा छोड़ते ही रामपाल माजरा ने अपने पुराने साथियों अशोक अरोड़ा और परमिंदर ढुल के साथ किया लंच


मीडिया से बाचचीत में रामपाल माजरा ने कहा कि उन्होंने अभी मन नहीं बनाया कि कांग्रेस में शामिल होंगे या फिर अभय चौटाला के साथ इनेलो को मजबूत करेंगे, लेकिन यह सच है कि अभय चौटाला ने विधानसभा की सदस्यता छोड़ने से पहले उनसे राय की थी और मैंने भाजपा छोड़ने से पहले उनके साथ चर्चा की थी।

माजरा ने कहा कि पिछले एक साल से उनका भाजपा में दम घुट रहा था। भाजपा ने उन्हें कभी अपना नहीं समझा और न ही वह भाजपा को अपने में आत्मसात कर पाए। किसानों के हक में चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए उन्होंने अभय चौटाला के विधानसभा की सदस्यता छोड़ने के फैसले की सराहना की। साथ ही कहा कि किसान हितों की पैरवी करने वाले कांग्रेस, जजपा, भाजपा व निर्दलीय विधायकों को भी ऐसा ही साहस दिखाना चाहिए।

पूर्व सीपीएस माजरा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भाजपा के पालने में झूला झूल रहे हैं और पूंजीपतियों ने उनके झूले का रस्सा पकड़ा हुआ है। वह देवीलाल के राजनीतिक वंशज नहीं हो सकते। ऐसा साबित करने के लिए उन्हें सत्ता से बाहर आकर साबित करना होगा।

माजरा ने भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों को किसानों के हितों की कभी कोई परवाह नहीं रही। यह भाजपा में स्वयंभू नेता हैं। सरकार में ब्यूरोक्रेट हावी हैं। उन्होंने माना कि जब वह भाजपा में शामिल हुए थे, तब उनसे बड़ी राजनीतिक गलती हो गई थी। उन्होंने दावा किया कि जल्द ही कई नेता भाजपा को अलविदा कहेंगे।


इनेलो के टूटने के बाद अशोक अरोड़ा कांग्रेस में और रामपाल माजरा भाजपा में चले गए थे। अशोक अरोड़ा को कांग्रेस ने थानेसर (कुरुक्षेत्र) से टिकट दिया था, जबकि रामपाल माजरा का कलायत से टिकट काट दिया था। इसके बावजूद माजरा भाजपा में बने रहे।


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